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लव इज माय लाइफ ए ब्यूटीफुल लव स्टोरी

"जिन के निर्देशन में ब्रह्मांड की सभी शक्ति अपना अपना कार्य कर रही है, मैं उन्हें श्री कृष्ण के नाम से जानता हूं"।

इस प्रयोगवादी उपन्यास के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है, किसी भी मृत तथा जीवित व्यक्ति से इसका कोई संबंध नहीं है, अगर फिर भी किसी व्यक्ति का इस उपन्यास से या इसके पात्र व घटनाओ से कोई संबंध जुड़ता है तो वह एकमात्र संयोग होगा।

मैंने सुना है और अनुभव भी किया है कि मनुष्य प्रेम के बिना जीवित नहीं रह सकता है, मैं स्वयं मनुष्य हूं, इसलिए मुझे मनुष्य की इस खूबी को पहचानने में देर नहीं लगी।

मेरा यह उपन्यास उन सभी को समर्पित है, जो आपस में प्रेम करते हैं, एक दूसरे पर विश्वास करते हैं, अपनों को खुश रखते हैं, अपनों से उम्मीद रखते हैं, जो अपने आप पर यकीन करते हैं और जो अपनों को समझने की समझ रखते हैं।

प्रेम किसी एक रिश्ते की घोषणा नहीं करता है प्रेम सभी रिश्तो का प्रतिनिधित्व करता है, आप स्वयं यह जानते हैं कि ऐसा कोई रिश्ता नहीं है, जिसमें प्रेम नहीं है, प्रेम विश्व व्यापक, सर्वमय हो कर भी, हमारी कमजोर समझ के कारण, हम सबके बीच एक रहस्य का विषय बन कर रह गया है, मैंने हम सबके बीच प्रेम को समझने की कमी का अनुभव किया है, इसीलिए प्रेम के वास्तविक रूप को आपके सामने प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूं।

इस उपन्यास का उद्देश्य मनोरंजन कतई नहीं है, क्योंकि मैं आपके अनमोल समय के महत्व को जानता हूं और आपके अनमोल समय को व्यर्थ बिगाड़ने का मेरे पास न तो अधिकार है और न हीं ऐसे कार्य में, मुझे रुचि है।
जो अच्छाई को समझते हैं, जो अपने जीवन के उद्देश्य को विशेष मानते हैं, जो इस संसार में कुछ  विशेष करना चाहते हैं, जो स्वयं के समय को अनमोल मानते हैं, जो सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, जो समस्याओं से बिना भागे उनका समाधान ढूंढते हैं, मैं यह उपन्यास ऐसे ही चेतन्य लोगों के लिए लाया हूं।

इस संपूर्ण ब्रह्मांड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसमें कारण माध्यम नहीं है। आप, में और हम सब जो भौतिक, अभौतिक रूप से वर्तमान हैं या नहीं है, किसी कारण से ही है, कारण का अर्थ समय के तीनों प्रारूपों से हैं, जो हमेशा था, हमेशा है और हमेशा रहेगा।

आज मेरे पास भी इस कहानी के माध्यम से एक ऐसा कारण है, जिसका संबंध संसार के सभी मनुष्यों से है, यह सामाजिक कारण मानव समाज के लिए बहुत ही लाभकारी और शिक्षाप्रद है, वह कारण यह है कि जिस कारण, आज हम सभी मनुष्य जुड़े हैं, उसी विषय को, में एक बहुत ही रोचक कहानी के रूप में कहने जा रहा हूं। जिसे आज तक ना तो किसी ने लिखा है, ना ही किसी ने सुना है, ना ही किसी ने पढ़ा है और ना ही किसी ने सोचा है।
इस कारण पर मेरा यह निश्चय कितना सत्य है, कितना असत्य है, इसे भविष्य सिद्ध करेगा पर मेरा यह प्रयास  अकारण नहीं है, यही सत्य है।

इसी कारण को अपना विषय बनाकर एक लेखक ने ईश्वर से कहा  - "हे अनंत"!  "हे सर्वज्ञ"! " मेरी दृष्टि में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसमें आप कारण रुप नहीं हो, फिर मेरी इस महत्वकांक्षी रचना में, आप अकारण कैसे हो सकते हो"? "आपसे तो अदृश्य भी अदृश्य नहीं है, कोई जीव आपसे अलग नहीं है, क्योंकि सब का स्वरूप आप ही हो, यह भली-भांति जानते हुए मैं, आपकी शरण में आया हूं, कृपा कर मेरा मार्गदर्शन करें"।

तभी अचानक लेखक के कानों में एक अत्यंत मधुर आवाज सुनाई दी, जिसकी मिठास की तुलना में संसार की कोई वस्तु नहीं हो सकती, इस आवाज के स्वाद को चखकर लेखक में एक अनुपम उमंग जाग गई जैसे उसकी मुलाकात उस तलाश से हो गई हो जो उसके जीवन का लक्ष्य है।

ईश्वर की मधुर आवाज में अपना नाम सुनकर लेखक हर्षित हो उठा और उसका ह्रदय प्रसन्नता से भर गया तब लेखक ने प्रसन्न भाव से कहा। "हे प्रभु"!  "आप है यह तो मैं जानता था पर आप इतने दयालु है, मैं यह नहीं जानता था, है अत्यंत दयालु, आप अपने वास्तविक रूप में आकर अपना दर्शन दे और मेरा कल्याण करें"।

तभी वह अद्भुत मनोहारी आवाज फिर लेखक के कानों में पड़ी।

"जो तुम देख रहे हो वही मेरा वास्तविक और स्पष्ट रुप है, मेरा कोई अप्रिय नहीं है, इसलिए ही मुझे सबकुछ प्रिय है और मैं सर्वमय हूं तो यही मेरा वास्तविक रूप, रंग और स्वरूप है, मेरे रंग-रूप आकार के दर्शन की अभिलाषा में बिना उलझे, अपने उस उद्देश्य को याद करो, जो आज कारण बन कर मेरे और तुम्हारे बीच आया है, वास्तव में तुमने, मुझे उसी उद्देश्य से याद किया था इसी कारण मैं, तुमसे मिलने शब्द रूप में आया हूं।
"मैं अपनी सभी रचनाओं से ऐसा जुड़ा हुआ हूं जैसे किसी वस्त्र से उसके छोटे-छोटे धागे जुड़े हुए हैं, मैं समस्त मनुष्यों की समस्त कामनाओं को जानता हूं क्योंकि मैं ही सब में वर्तमान स्थित हूं, तुम्हारा उद्देश्य इस संसार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए मैं, तुम्हें प्रेम से जुड़ी एक ऐसी कहानी सुनाता हूं, जो सभी मनुष्य के लिए हितकारी है"।
"जैसा यह संसार है, ऐसे ही इस अनंत ब्रह्मांड में, अनगिनत संसार है  इन सभी संसारों की सबसे उत्तम प्रेम कहानी में तुम्हें सुनाता हूं, किसी अन्य संसार की होने के कारण, यह प्रेम कहानी इस संसार के लिए अनसुनी, अनकही, अनदेखी, अपरिचित और अनोखी है, इस कहानी को सुनाने से पहले तुम्हें, मेरी एक शर्त माननी होगी कि तुम, मुझसे तब तक कोई प्रश्न नहीं करोगे,जब तक इस कहानी का अध्याय समाप्त नहीं हो जाता"।
यह अध्यायो से जुड़ी कहानी है इसलिए जब अध्याय समाप्त हो जाएं, तब तुम केवल एक प्रश्न कर सकते हो और अगर तुमने यह नियम तोड़ा तो मैं वहीं इस कहानी को छोड़कर मौन हो जाऊंगा, इसलिए पुनः कहता हूं कि जब कहानी का अध्याय समाप्त हो जाए तभी कुछ पूछना"?।

लेखक के हृदय में प्रश्न तो अनेक थे पर वह यह भी भलीभांति जानता था कि ईश्वर ने सभी मनुष्यों को नियमों से जोड़ रखा है, हमारा संपूर्ण जीवन, नियमों पर आधारित है। इसी कारण हमारे जीवन में सब कुछ पहले ही तय है इसीलिए लेखक ने ईश्वर के आदेश में ही अपनी भलाई समझी और कहा ।

"है सर्वशक्तिशाली प्रभु"! "मैं आपकी आज्ञा का पालन करूंगा"।

तब ईश्वर ने कहा।

               ""लव इज माय लाइफ""
                 "ए ब्यूटीफुल लव स्टोरी"

"इस कहानी का शीर्षक है अब मैं तुम्हें इस कहानी का पहला अध्याय दोस्ती सुनाने जा रहा हूं"।
"कोई भी जिज्ञासा और खोज अपनी सफलता, असफलता से पहले एक आधार को ढूंढती है, उस आधार को प्रमाण मानकर लक्ष्य तक पहुंचा जाता है, इसी सिद्धांत का प्रयोग करते हुए मैंने, दोस्ती को आधार बनाया है"।

(पहला अध्याय)

                          " "दोस्ती" "

"दोस्ती विश्वास, समर्थन, समर्पण और स्वतंत्रता कि प्रतीक होती है, खून के रिश्ते तो जन्म के साथ जुड़ जाते हैं पर दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जिसे हम, अपनी इच्छा, अपनी पसंद, अपनी खुशी से चुनते हैं, मेरे अनुसार एक सच्चा मित्र देवता से भी बढ़कर होता है, क्योंकि आपका जो कार्य देवता नहीं कर सकता, वह कार्य आपका मित्र कर सकता है, अंतः मित्रता समर्थन का वह रूप है जो विश्वास और स्वतंत्रता से परिपूर्ण है, इसलिए मैं दोस्तों को अमृत के समान औषधि मानता हूं"।

"लव डाकोत्रा हमारी कहानी का नायक है, जिस की वर्तमान आयु 10 वर्ष है, लव के पिता डैनी डाकोत्रा और चाचा जॉनी डाकोत्रा कि पूरे शहर पर धाक है, इन दोनों का एक बहुत ही खास मित्र है, जिसका नाम ब्रह्मदेव वर्मा है, जिसे सभी ब्रह्मा जी कहते हैं, डेनी, जॉनी और ब्रह्मा जी, तीनों मिलकर पूरे शहर पर राज करते हैं, यह तीनों मिलकर ब्लैक मेलिंग, किडनैपिंग, ड्रग्स स्मगलिंग और हथियारों का गैरकानूनी कारोबार करते हैं"।

डैनी और ब्रह्मा जी की पत्नी का एक कार एक्सीडेंट में एक साथ गुजर चुकी है, और जोनी की पत्नी निशा अपने 8 साल के बेटे रोहित के साथ अलग रहती है, जॉनी उग्र स्वभाव व हिंसक प्रकृति का मनुष्य है, इसीलिए निशा जॉनी से अलग अपने बेटे के साथ रहती है और ब्रह्मा जी का इस संसार में एक ही सहारा है उनकी 10 साल की बेटी सोनिया जो हमारे नायक लव की अच्छी दोस्त है"।

"स्नेहा सागर हमारी कहानी की नायिका है, स्नेहा की उम्र भी 10 साल है, स्नेहा के पिता संजय सागर इसी शहर के एसीपी है, इनका तबादला एक हफ्ते पहले ही यहां हुआ है, संजय अपने जोश, जुनून और निर्भयता के कारण पूरे पुलिस डिपार्टमेंट में एक आदर्श पुलिस ऑफिसर है"। "स्नेहा की मां का नाम गीता है जो एक बहुत ही सुलझी हुई सरल समझदार महिला है"।

"संसारी कहावत है कि पिता के लक्षण और व उसके गुण संतान में होना एक स्वाभाविक बात है, हमारी कहानी का नायक लव बहुत ही क्रूर, हिंसक, अहंकारी, निर्दयी और आक्रामक है, इस वक्त लव अपनी ही क्लास के एक छात्र सौरभ की पिटाई कर रहा है, क्योंकि आज सौरभ ने लव को सलाम नहीं किया था, लव अपने चचेरे भाई रोहित और दो अन्य मित्र, मिराज और सुशील के साथ मिलकर पूरे स्कूल में अपनी मनमानी चलाता हैं"

"हमारी कहानी की नायिका स्नेहा ने भी इसी स्कूल में एडमिशन लिया है और आज वह पहले दिन ही स्कूल आई है, जब स्नेहा इन चारों को सौरभ को पीटते हुए देखती है तो उसे सौरभ पर दया आ जाती है और वह निर्भय होकर लव का विरोध करते हुए कहती है।

" तुम इंसान हो या राक्षस हो, क्यों इसे इतनी बेरहमी से पीट रहे हो"?

"इंसानियत की देवी, अपनी इंसानियत यहां ना दिखा, नहीं तो तेरा भी यही हाल होगा, तु इस स्कूल में नयी लगती है, तुझे, मेरे बारे में कुछ पता नहीं है, अगर अपना भला चाहती है तो चुपचाप यहां से चली जा, मुझ से टकराने का अंजाम बहुत खतरनाक होता है"। लव सख्त भाव ने कहा।

"लव स्नेहा को चेतावनी देकर फिर सौरभ पर हाथ उठाता है पर इस बार स्नेहा, लव के हाथ को पकड़ लेती है"।

"लव का हाथ स्नेहा के हाथ में होना, हमारी कहानी के लिए अच्छा संकेत है क्योंकि लव हमारी कहानी का नायक है और स्नेहा नायिका है पर परिस्थिति बिल्कुल विपरीत है, स्नेहा ने लव का हाथ पकड़कर अपना विरोध जताया है"।

"मैं अपने अंजाम के लिए तैयार हूं, क्या कर सकते हो तुम"? स्नेहा ने निर्भय भाव से कहा।

"इस वक्त लव के पास ना तो दिल है और ना ही दिमाग, इसी कारण वह बिना सोचे, समझे स्नेहा के कोमल गाल पर एक तमाचा जड़ देता है, लव के तमाचे में इतनी बेदर्दी होती है कि स्नेहा धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ती है पर साहसी स्नेहा कुछ क्षण बाद संभल कर खड़ी हो जाती है और अपने सौम्या और सरल भाव से कहती है"।

"मैं फिर अपने अंजाम के लिए तैयार हूं"।

"लव दोबारा अपनी निर्दयता का परिचय देते हुए और जोर से तमाचा जड़ देता है, स्नेहा धड़ाम से नीचे गिर जाती है उसके बाल खुल जाते हैं और उसके होठों से खून निकलने लगता है, थोड़ी मुश्किल से स्नेहा फिर उठती है और लव की और मुस्कुराते हुए कहती है"।

" मैं फिर अपने अंजाम के लिए तैयार हुं"।

"दोबारा यह देख, लव आश्चर्य में पड़ जाता है और उसकी अहंकारी बुद्धि चक्कराने लगती है, वहां खड़े सभी विद्यार्थी यह देख, हैरान रह जाते हैं क्योंकि इन्होंने आज तक उन्होंने ऐसी लड़ाई नहीं देखी थी, लव अपने झूठे रोब और झूठी शान को बचाने के लिए तीसरा तमाचा इस उम्मीद से मारता है कि अब यह खूबसूरत लड़की खड़ी नहीं होगी पर स्नेहा लड़खड़ाते हुए फिर खड़ी होकर मुस्कुराते हुए निश्चल भाव से कहती है"।

"मैं फिर अपने अंजाम के लिए तैयार हूं"।

अब स्नेहा के दोनों होंठो से खून बह रहा है फिर भी वह लव से बिना द्वेष किए, ऐसे खड़ी है जैसे लव ने उसके साथ कुछ किया ही नहीं है, स्नेहा का निश्चय विशाल पर्वत जैसा प्रतीत हो रहा है, जिसकी निश्चल सहनशीलता ने लव को भीतर से भयभीत कर दिया है"।

"इस वक्त स्कूल के करीब 50 बच्चे इस घटना को देख रहे हैं, चाहे कोई भी मौखिक रूप से समर्थन नहीं कर रहा पर उन सभी के हृदय के भाव स्नेहा के पक्ष में है"।

"कहते हैं, हर चीज की एक सीमा होती है, लव के अहंकार की भी एक सीमा थी, जिसे स्नेहा की दृढ़ सहनशीलता के सामने हारना पड़ा, जब चौथी बार भी स्नेहा, लव के सामने खड़ी हो गई तो लव घबरा गया, क्योंकि हर तमाचे के साथ, लव की सोच में तरह - तरह के परिवर्तन आ रहे थे पर स्नेहा का एक ही लक्ष्य था सहनशीलता, दृढ़ता, जिसके सामने आखिरकार लव को झुकनाना ही पड़ा, लव के वह तीनों तमाचे, असफल साबित हुए पर इस नेहा का धैर्य सफल हुआ, अब लव के चेहरे पर भय का एक अजीब भाव, साफ नजर आ रहा है, इसीलिए लव कहता है"।

"ए पागल लड़की, मेरे हाथ से मरना चाहती है क्या"?

"लव यह वाक्य कह कर, अपने साथियों के साथ वहां से जाने लगता है, वहां खड़े सभी विद्यार्थी स्नेहा से प्रभावित होकर उसके समर्थन में तालियां बजाने लगते हैं, इन तालियों की गूंज लव ओर उसके साथियों को और भयभीत कर देती है"।

"आमतौर पर देखा जाता है कि हिंसा के खिलाफ हिंसक विरोध होता है पर स्नेहा ने सहनशीलता का उदाहरण देते हुए एक नवीन व अनोखा विरोध प्रस्तुत किया"।

इस घटना के बाद स्नेहा वहां खड़े सभी विद्यार्थियों के लिए आदर्श बन जाती है स्नेहा सभी से मुखातिब होकर कहती है"।

"मेरा नाम स्नेहा सागर है, आज से आप सभी मेरे दोस्त हैं, क्योंकि मुझे नए दोस्त बनाना अच्छा लगता है, आज से आपकी तकलीफ मेरी तकलीफ है और वह चारों पहलवान भी हमारे दोस्त हैं, वह थोड़े बिगड़े हुए हैं तो हम उनसे नफरत नहीं कर सकते हैं, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें सुधारें, वह तुम्हें क्यों पीट रहे थे स्नेहा ने हल्की मुस्कान लिए मार खाए सौरभ से पूछा"?

"मेरा नाम सौरभ है, मेंने, आज उन्हें सलाम नहीं किया था इसलिए उन्होंने मुझे पीटा है"।

"वह चारों सम्मान के भूखे हैं, सम्मान योग्यता से मिलता है हिंसा से नहीं फिर भी हम, कल उन चारों को सम्मान देंगे, कल आप सभी चार गुलाब के फूल लेकर आना और उन चारों को शुभकामनाओं के साथ देना"।

"स्नेहा की नई सोच, समझ व उसके आकर्षक विचार सभी विद्यार्थियों को प्रभावित करते हैं और सभी स्नेहा के नेतृत्व में चलने लगते हैं"।

(अगले दिन)

"सभी विद्यार्थी स्नेहा के कहे अनुसार चार गुलाब लाते हैं और सभी एक लाइन में खड़े होकर, क्रमबद्ध नियम से लव व उसके तीनों साथियों को शुभकामनाओं के साथ गुलाब भेंट करते हैं, आज ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे स्कूल में कोई त्यौहार है, यह घटना देखकर स्कूल की शिक्षिका पूजा जोशी आश्चर्य में पड़ जाती है"।
"अंत में स्नेहा, रोहित, मिराज और सुशील को गुलाब के साथ शुभकामनाएं देकर, लव से मुखातिब होकर, गुलाब देते हुए कहती है"।

" ईश्वर तुम्हें वह सब कुछ दे, जिसके तुम काबिल हो"।

पर लव गुलाब स्वीकार नहीं करता है और कहता है।

" तुम, अपने आप को जितनी होशियार समझती हो, उतनी हो नहीं"।

"तुम्हारा स्वागत है मेरे दोस्त"! स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा।

"क्या चाहती हो तुम"? लव ने प्रश्न किया।

"तुम्हें सम्मान देना"।

"क्यों"? लव ने फिर प्रश्न किया

"क्योंकि तुम सम्मान के भूखे हो, तुमने कल सौरभ को इसीलिए पीटा था क्योंकि उसने तुम्हें सम्मान नहीं दिया था"।

"मैंने, तो तुम्हें भी पीटा था"।

"मुझे कल तुमने नहीं, तुम्हारे अहंकार ने पीटा था, आज तुममे वह अहंकार नजर नहीं आ रहा है"। स्नेहा ने कहा।

"मुझे लगा, मैंने कल तुम्हारे साथ मारपीट कर गलत किया है"। लव ने अफसोस भाव से कहा

"मैं अपराध से नफरत करती हूं, अपराधी से नहीं, आज ना वक्त कल की तरह है और ना तुम कल की तरह लग रहे हो, जब आज तुम, मेरे अपराधी हो ही नहीं, तो मैं आज तुम्हें अफसोस करने का अवसर भी नहीं देती दे सकती, अगर तुम्हें, फिर भी कल के लिए कोई अफसोस है तो तुम खुद को माफ कर दो"।

"कौन हो तुम, इतनी अलग, इतनी अजीब कैसे कर लेती हो यह सब"? लव ने आश्चर्य से कहा।

"स्नेहा सागर नाम है मेरा, जिसका मतलब होता है प्रेम का सागर, अब मेरे पास प्रेम का सागर है तो में प्रेम के मामलों में कंजूसी कैसे कर सकती हूं"? स्नेहा ने हल्की मुस्कान के साथ कहां।

"नाम तो मेरा भी लव है पर मैं प्रेम करना नहीं जानता, आखिर क्यों"? लव ने स्नेहा का गुलाब स्वीकार करते हुए पूछा।

"मुझसे दोस्ती कर लो, सब कुछ सीख जाओगे"।

"हां जरूर क्यों नहीं"।यह कह कर लव अपना हाथ बढ़ाता है।

"इस तरह लव और स्नेहा की दोस्ती हो जाती है, कुछ ही दिनों में इन दोनों की दोस्ती बहुत गहरी हो जाती है, यह दोनों क्लास में साथ बैठते हैं, साथ पढ़ते लिखते हैं, साथ बैठकर खाते पीते हैं, अब इन दोनों की दोस्ती में ऐसा विश्वास अपनापन उत्पन्न हो गया है कि मानो इन दोनों को वह सब कुछ मिल गया है, जो जिंदगी में खुश रहने के लिए जरूरी है पर यह दोनों भाग्य के उस खेल से पूरी तरह अनजान है जो मैं इनके भाग्य में लिख चुका हूं"।

"क्लास लग चुकी है शिक्षिका पूजा जोशी स्कूल मे आए नए परिवर्तन से भलीभांति परिचित है, शिक्षिका सभी विद्यार्थियों के होमवर्क चेक कर रही है और जो होमवर्क कर नहीं आया है  उसे 3 स्केल मार पढ़ रही है।
स्नेहा, लव का अधूरा होमवर्क देख लेती है और लव को मार से बचाने के लिए अपनी कापी लव की कापी से बदल लेती है, इस कारण स्नेहा को 3 स्केल मार खाना पड़ती है और डांट भी खाना पड़ती है"।

"जब लव को हकीकत पता चलती है तो वह स्नेहा से नाराज हो जाता है, स्नेहा लव की नाराजगी समझ जाती है और उसे मनाने का प्रयास करते हुए कहती है"।

"क्या तुम, मुझसे नाराज हो"?

"हां क्योंकि तुमने, मुझे मार से बचाने के लिए कापी बदली और खुद मार खाई, तुमने ऐसा क्यों किया स्नेहा"?

"क्योंकि तुम, मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो और मैं तुम्हें मार खाते नहीं देख सकती हूं, अगर वह मार तुम्हें पढ़ती तो दर्द मुझे होता पर सच कहूं तो मुझे जरा सा भी दर्द नहीं हुवा"।

"तुम्हें दर्द कहां से होगा क्योंकि जब तुम्हें मार पड़ रही थी, उसका दर्द मुझे हो रहा था"। लव ने पीड़ा भाव से कहा।

"हां तभी, तुमने मुझे मार खाते देख आंखें बंद कर ली थी"। स्नेहा ने चुटकी लेते हुए कहा।

"हां मन कर रहा था कि पूजा मैडम का सिर फोड़ दूं और तुमने खामखा मुझे बचाने के लिए मार खाई, अगर मैं होमवर्क नहीं भी करके आया था तो पूजा मैडम मुझे कुछ नहीं करती, क्योंकि वह मुझसे डरती है, एक दिन मैंने उनको इतना डराया, धमकाया था कि उनकी बोलती बंद हो गई थी"। लव अहंकार भाव से कहा।

"यह तुमने ठीक नहीं किया था लव, तुम्हें इसके लिए मैडम से माफी मांगना चाहिए, शिक्षक तो भगवान का रुप होते हैं, हमें उनका अपमान नहीं करना चाहिए, सोचो शिक्षक हमें डांटते किस लिए हैं क्योंकि हम गलतियां करते हैं, वह हमें बार-बार यही समझाते हैं कि गलतियां मत किया करो, जिनका काम हमारी गलतियां सुधारने का है और हमारी कमियां दूर करना है, हम उनका अपमान कैसे कर सकते हैं"?  "तुम खुद जानते हो मैं तुमसे कुछ गलत कराने का सोच भी नहीं सकती हूं, अब जब तुम पूजा मैडम से माफी मांगोगे, मैं उसी दिन तुमसे बात करूंगी"। स्नेहा ने लव को समझाते हुए कहा।

"अगर तुम्हें, मुझसे बात नहीं करना है तो मत करो, मुझे तुमसे बात करने का कोई शौक नहीं है, पूजा मैडम से माफी मांग कर, मैं अपनी नजरों में गिरना नहीं चाहता हूं, क्योंकि मुझे किसी के सामने झुकना पसंद नहीं है"। लव ने स्पष्ट कहा।

"लव के  शब्द सुनकर स्नेहा वहां से चली जाती है, वह जानती है, लव इस वक्त गुस्से में है, वह उसे वक्त देना चाहती है, ताकि लव शांत चित्त हो जाए, इस कारण लव और स्नेहा के बीच 2 दिन तक कोई बातचीत नहीं होती है"।

"लव की उदासी देखकर ब्रह्माजी की लड़की सोनिया, लव से पूछती है" -" लव आजकल तुम, बड़े उदास रहते हो, क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकती हूं"?

"जब पूजा मैडम तुम्हें मारती है या डांटती है, तब तुम उनसे बदतमीजी क्यों नहीं करती हो"? लव ने प्रश्न किया।

"पूजा मैडम ने न तो कभी मुझे मारा है और नहीं कभी डांटा है क्योंकि मैं कभी ऐसी नौबत ही नहीं आने देती कि उन्हें मुझे मारना या डाटना पड़े, मैं अपनी पढ़ाई ठीक से करती हूं, इसलिए मैडम हमेशा मुझसे प्यार से बातें करती है "। सोनिया ने कहा।

"लव, सोनिया के शब्दों की सच्चाई को समझ जाता है और पूजा मैडम के सामने कान पकड़ कर खड़ा हो जाता है, लव की यह दशा देखकर पूरी क्लास आश्चर्य में पड़ जाती है तब लव मैडम से कहता है"।

"मैडम जी मैं जिस दिन से इस स्कूल में आया हूं, तब से लेकर अब तक,  शिक्षक और शिक्षा के महत्व को समझ नहीं पाया था पर अभी कुछ देर पहले ही मुझे शिक्षक और शिक्षा का थोड़ा सा महत्व समझ आया है, इसीलिए मैं आज मेरी उन सभी गलतियों के लिए, आपसे माफी मांगता हूं, ओर यह वादा करता हूं कि मैं आपकी क्लास का सबसे अच्छा छात्र बन कर बताऊंगा"। लव ने दृढ़ता से कहा।

लव की प्रार्थना सुनकर, पूजा मैडम जिम्मेदारी भाव से कहती है -" लव इसमें जितना दोष तुम्हारा है, उतना ही दोष मेरा भी है, मैं हमेशा तुमने एक आदर्शवादी छात्र की तलाश करती रही पर कभी यह नहीं सोचा कि मैं स्वयं भी एक आदर्शवादी शिक्षिका हूं या नहीं,  सच्चाई यह है कि अपनी कमी का एहसास मुझे, तुममे यह बदलाव देखकर हुआ है, आज तुम्हारे इस बदलाव का कारण में होती तो मुझे अधिक खुशी होती, मेरी समझाइश में ही कमी रही होगी, इसलिए मैं, ना तो तुम्हें समझ सकी और ना तुम्हें समझा सकी, सच कहूं तो मैं, तुमसे अपना तालमेल बिठाने में असफल रही, अब तुमसे वादा करती हूं कि भविष्य में तुम्हें समझाने का मेरा तरीका अलग होगा, जिसका तुम कभी विरोध नहीं करोगे, अब अपनी जगह जाकर बैठ जाओ"।

"लव में यह बदलाव देखकर सबसे ज्यादा खुशी, स्नेहा को होती है वह अपनी इस खुशी के साथ गार्डन में बैठे लव के पास आकर कहती है"।

"मैंने, तुमसे ज्यादा हिम्मत वाला इंसान आज तक नहीं देखा, सच में तुम्हारा दिल बहुत बड़ा है लव"!

"माफी मांगने से कोई हिम्मतवाला कैसे हो सकता है"? "माफी मांगना तो हमारी एक शर्मनाक हार होती है"। लव ने पूछा।

"लव का यह वाक्य सुनकर स्नेहा की हंसी छूट जाती है, लव, स्नेहा की इस मुस्कान में अपने प्रश्न का जवाब ढुंढता है पर कुछ भी समझ, नहीं पाता फिर स्नेहा जवाब में कहती है"।

"गलती की माफी मांगना शर्मनाक नहीं होता, माफी ना मांगना शर्मनाक होता है, गलती तो कोई भी बड़ी आसानी से कर लेता है पर उस गलती को ठीक कोई हिम्मतवाला ही कर पाता है, तुमने अपनी गलती को ठीक किया, इसलिए यह शर्मनाक हार नहीं, तुम्हारी जीत है"।

"मैं हर सही चीज को गलत तरीके से देखता हूं, पता नहीं मुझे सच्चाई की परख कब होगी"। लव ने कहा।

"तुम जिस दिन प्रेम को समझ जाओगे, उस दिन सब कुछ समझ जाओगे"। स्नेहा ने कहा

"तुम समझाती हो तो मैं समझ जाता हूं, क्या तुम जिंदगी भर मुझे इसी तरह समझाती रहोगी"? लव ने प्रश्न किया

"मैं जिंदगी भर, तुम्हें कैसे समझा सकती हूं, जब हम बड़े हो जाएंगे, तब हमारी शादी हो जाएगी फिर तुम जाने कहां होंगे और मैं न जाने कहां होगी, तब सब कुछ बदल जाएगा लव"।

"तो ठीक है हम बड़े होकर शादी कर लेंगे फिर तो हम दोनों हमेशा साथ रहेंगे"।

लव की यह बात सुनकर स्नेहा के दिल की धड़कन तेज हो जाती है उसके हृदय के भीतर एसे भाव उत्पन्न होते हैं जो इस प्रकार है।
                          (शायरी)
दिल की धड़कन तेज हुई है, सुनकर तेरी बात।
जान के भी क्यों पहचान ना पाई तेरे दिल की बात।।
बात में तेरी राज है ऐसा, जो दिल को हुआ एहसास।
बिन इजहार ही बोल दिए, तूने तेरे सब जज्बात।।

'लव तुम पागल हो गए हो, हम कल मिलते हैं"।

स्नेहा अपनी शर्म भरी मुस्कान के साथ यह कह कर चली गई वह लव से योग्यता, दूरदर्शिता और उम्र में थोड़ी सी बड़ी है, उसकी यह शर्म उसके गुणों की पुष्टि करते हैं, अलग-अलग उम्र के अलग-अलग भाव होते हैं पर शर्म का भाव आपकी उस उम्र और समझ की घोषणा करता है जो दिल से जुड़ी होती है, मतलब स्नेहा  दिल से जुड़ी बातों को समझती है।

(अगले दिन)
स्कूल के पास एक छोटा सा मंदिर है जहां स्नेहा प्रतिदिन आती है, लव, स्नेहा को मंदिर में जाते देख लेता है और वह स्वयं भी मंदिर में चला आता है, स्नेहा आंखें बंद कर, हाथ जोड़े प्रार्थना भाव से खड़ी है स्नेहा को ऐसा करते देख, लव कहता है।

"तुम इतनी समझदार होकर भी मूर्ति पूजा करती हो, क्या सच में पत्थर की मूर्ति में भगवान होते हैं"?

"जब भगवान हर जगह है तो इस मूर्ति में भी जरूर है, मैं भगवान को निराकर मानती हूं, क्योंकि वह सर्वमय है, जिसका प्रतीक मेरी श्रद्धा, मेरा विश्वास है, यह मंदिर तो ईश्वर को अनुभव करने का एक आधार है और यह मूर्ति मेरी श्रद्धा, मेरे विश्वास का एक प्रर्दशित रूप है, जिसे समझने के लिए विश्वास चाहिए, तभी यह विधि समझ में आती है, कल तुमने मुझसे कहा था कि हम दोनों बड़े होकर शादी कर लेंगे, तो हमेशा साथ रहेंगे, मैं, तुम्हें उस बात का आज जवाब देना चाहती हूं, कि जरूरी नहीं जैसा हम आज सोचते समझते हैं, वर्षों बाद भी ऐसा ही सोचेंगे, हमारी उम्र के साथ हमारी सोच समझ में भी परिवर्तन आते हैं, ऐसे कई सवाल हैं जो सही समय की मांग करते हैं, इसीलिए कह रही हूं, कौन किस से शादी करेगा"? "यह हमारे भविष्य की चिंता है, हम इस विषय पर भविष्य में बात करेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा "। स्नेहा ने कहा।

"तुम हर बात को बहुत सरलता से समझाती हो इसीलिए मैं झट से समझ जाता हूं, अब मैं भी तुम्हारी तरह समझदार बनना चाहता हूं"। लव ने कहा।

"पर मैं चाहती हूं, तुम, मुझसे भी ज्यादा समझदार बनो"।

तभी अचानक जोर - जोर से घंटा बजने लगता है, यह क्लास लगने का संकेत है, यह संकेत सुनकर दोनों क्लास में आकर बैठ जाते हैं।

"लव का चचेरा भाई रोहित सामने खड़ा होकर लव से पूछता है  -"भैया आप मुझसे ज्यादा प्यार करते हो या इस स्नेहा से"?

लव, रोहित को जवाब दे, उससे पहले वहां मिराज आकर लव से कहता है।

"जब से यह लड़की स्कूल आई है, तब से तू, हमें भूल गया है"।

लव इसे कुछ कहें, इससे पहले लव के पीछे खड़ा सुशील कहता है।

"पहले तु हमारे बिना, एक पल भी नहीं रहता था और अब हमसे बात करना भी पसंद नहीं करता है, ऐसा क्या जादू कर दिया है, इस लड़की ने तुझ पर"?

"ऐसी कोई बात नहीं है, रोहित आज भी मेरा छोटा भाई है और तुम दोनों आज भी मेरे दोस्त हो"। लव ने कहा।

"हमारी चार दोस्तों की टीम है, और हमेशा 4 की ही टीम रहेगी, हमारे बीच कोई पांचवा इंसान नहीं आ सकता है और जो हमें अलग करने की कोशिश करेगा उसे ठीक करना हमें अच्छी तरह आता है"। रोहित ने धमकी देते हुए कहा।

"तु छोटा भाई है तो छोटा बनकर रह, ज्यादा बड़ा बनने की कोशिश मत कर, अगर मेरा दिमाग खराब हो गया तो तुम सभी ठंडे हो जाओगे"। लव ने चेतावनी देते हुए कहा

"तो ठीक है, आज जो भी होना है, हो जाए, स्कूल के गार्डन में मिलते हैं"। मिराज ने धमकी देते हुए कहा।

"तभी पूजा मैडम के आते ही क्लास का माहौल सामान्य हो जाता है, मैडम सभी बच्चों को संबोधित करते हुए कहती है।

"आज से 50 वर्ष पहले हमारी दुनिया में चारों और खून खराबा, अत्याचार, नफरत, दहशत, असहनशीलता और हिंसक शासकों का राज था, तब यह कोई नहीं जानता था कि शांति क्या होती है"? " प्रेम क्या होता है"? " एकता में अनेकता क्या होती है"? " कहते हैं तब ईश्वर ने हमें शांति और प्रेम का मार्ग बताने के लिए मानव का रूप धारण किया था और प्रेम कुमार बनकर हमारी दुनिया में आए थे, जिन्हें हम प्रेम के पंडित के नाम से भी जानते हैं, उस समय संपूर्ण विश्व में हर समस्या का हल युद्ध से हुआ करता था, मानव ही मानवता को खंडित करके अपनी सभ्यता को नष्ट कर रहा था, उस वक्त प्रेम कुमार जी ने संपूर्ण संसार को नया मार्ग दिखाया और शांति की स्थापना की, आज उनका जन्म दिवस है, जिसे पूरी दुनिया शांति दिवस के रूप में मनाती है, हम सब भी संकल्प लेते हैं कि हमारे जीवन में हिंसा, नफरत जैसे दुर्गुणों को स्थान नहीं देंगे और हमेशा सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलेंगे, धन्यवाद"! "आज की क्लास यहीं समाप्त होती है"।

सभी बच्चे क्लास से चले जाते हैं तब स्नेहा, मैडम से कहती है"।

"क्या आप मुझे पढ़ने के लिए, प्रेम कुमार जी की पुस्तकें दे सकती हैं"?

"तुम इस उम्र में प्रेम कुमार के गहरे विचारों को समझ पाओगी"। मैडम ने पूछा।

"मैंने प्रेम कुमार जी के किस्से कहानियां बहुत सुने हैं, मैं उनसे बहुत प्रभावित हूं, मुझे उनके बारे में सब कुछ जानना है"। स्नेहा ने जिज्ञासा भाव से कहा।

"ठीक है"! " मैं कल दे दूंगी"। मैडम ने कहा

"स्नेहा, मैडम को धन्यवाद कहकर, स्कूल के गार्डन में आकर लव को परेशान देखती है, लव अपनी परेशानी का कारण बताते हुए कहता है।

"सावधान हो जाओ, रोहित, मिराज ओर सुशील हमसे झगड़ा करेंगे, हमें, उनसे मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए"।

"तुम चिंता मत करो, सब अच्छा होगा"। स्नेहा आश्वासन देते हुए कहा।

स्कूल के मैदान में तीनों पहलवान डंडा लिए, आक्रोशित भाव से खड़े हैं, जब लव और स्नेहा इन तीनों के पास पहुंचते हैं, तब सुशील डंडा उठाकर कहता है

"लव हमारी टीम में आ जाओ और आज से इस लड़की का साथ छोड़ दो, नहीं तो आज, हमारी बचपन की दोस्ती में लड़ाई हो जाएगी"।

"मैं, लव भैया पर हाथ नहीं उठा सकता पर इस स्नेहा जादूगरनी को बहुत पीटुगां"। रोहित ने स्नेहा को घूरते हुए कहा।

"लव, हम तीन हैं और तुम दो हो, क्या तुम, हम से मुकाबला कर पाओगे"? मिराज ने हंसते हुए कहा।

"हम भी दो नहीं तीन है"। वहीं खड़ी सोनिया ने लव के समर्थन में कहा।

"हम तीन नहीं चार हैं"। सौरभ ने लव के समर्थन में कहा।

"हम चार नहीं  आठ हैं"। 4 विद्यार्थियों ने एक साथ कहा।

"तभी सभी विद्यार्थियों ने एक स्वर में कहा, हम सभी लव और स्नेहा के साथ है"।

यह देख तीनों पहलवानों की बोलती बंद हो जाती है, तब स्नेहा अपनी भूमिका को समझते हुए, अपने कदम इन तीनों की और बढ़ाती है, स्नेहा के साथ सभी विद्यार्थी भी अपने कदम बढ़ाते हैं, इतने सारे विधार्थी को अपनी ओर आता देख, तीनों पहलवानों के चेहरे डर से लाल हो जाते हैं और गले सूख जाते हैं, स्नेहा इन तीनों के चेहरों से उड़े रंग को पहचान लेती है कि अब यह लड़ाई नहीं करना चाहते हैं फिर भी वह कहती है।

"उस दिन तुम्हें मेरी शांति नीति समझ नहीं आई थी, इसलिए अब मैंने दादागिरी शुरु कर दी है, जैसे ढोली, ढोल को बजाता है, ऐसे ही इन तीनों को बजाओ"। स्नेहा ने सख्त भाव से कहा।

सभी विद्यार्थी स्नेहा के आदेश अनुसार इन तीनों की ओर बढ़ते हैं, तभी लव इन तीनों की ढाल बनकर खड़ा हो जाता है और इन तीनों के समर्थन में कहता है।

"स्नेहा, तुम्हें इन तीनों को पिटवाने से पहले मुझे पिटवाना होगा, मेरे लिए, जैसी तुम हो, वैसे ही यह तीनों भी है"।

"देख रहे हो तुम तीनों, तुम्हें कौन बचा रहा है"?  "जिसे तुम मारना चाहते थे, अब बताओ क्या लव गलत है"? "इसलिए कह रही हूं, दोस्त बन कर रहो, हमेशा फायदे में रहोगे"। स्नेहा ने तीनों को समझाते हुए कहा।

तीनों को अपनी गलती का एहसास हो जाता है, तीनों लव से माफी मांग कर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं, कुछ देर बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है।

"तुमने इन तीनों को सुधारने के लिए इतना बड़ा ड्रामा किया, अब तो तुम्हें मानना पड़ेगा कि तुम सच में  खास हो"। लव ने स्नेहा की प्रशंशा में कहा।

"मैंने कुछ खास नहीं किया, जो किया जा सकता था, वही किया"।

"मैं इन तीनों को जीवन भर दोस्ती का मतलब नहीं समझा पाता पर तुमने यह चमत्कार कर दिखाया"।

"मैंने सुना है, जो भी होता है अच्छे के लिए होता है, मुझे आज घर जल्दी जाना है, कल मिलते हैं"।

(अगले दिन)

स्नेहा आज समय से 1 घंटे पहले स्कूल आ गई है और मैडम के कक्ष में आकर कहती है

"नमस्कार मैडम जी"!

"नमस्कार"! "स्नेहा आज तुम समय से पहले आ गई"।

"मैडम आप प्रेम कुमार जी की पुस्तक लाई हो"।

"हां लाई हूं, तुम घर जाओ तब ले जाना"।

"मैडम जी"! "क्या वह पुस्तक आप मुझे अभी दे सकती हैं"।

"स्नेहा तुम इतनी व्याकुल क्यों हो"? "ऐसा क्या है इस पुस्तक में"?

"मेरे कई प्रश्नों के उत्तर, जिन्हें में कई दिनों से ढूंढ रही हूं"।

"ठीक है, सामने वाली अलमारी में पड़ी है, ले लो"।

"स्नेहा अपने कंधे से बैग उतार कर नीचे रखती है और  अलमारी से किताब निकाल लेती है। उस किताब को निहारते - निहारते ही कक्षा से बाहर आ जाती है और अपना बैग भी वही भूल आती है, अपनी मैडम को धन्यवाद तक कहना भूल जाती है।

लव स्कूल आता है और आते ही इधर-उधर स्नेहा को ढूंढने लगता है पर उसे वह कहीं नजर नहीं आती, अब लव को यह लगने लगा है कि शायद आज वह स्कूल नहीं आई है, तभी लव के पीछे से आवाज आती है।

"लव तुमने इस स्नेहा को देखा है"। पूजा मैडम ने पूछा।

"आज स्नेहा स्कूल नहीं आई है, मैडम"!

"आई है और वह भी सबसे पहले, वह मुझसे प्रेम कुमार की पुस्तक लेकर गई है, उसका बैग, मेरे कक्ष में पड़ा है, वह दिखे तो बता देना"।

"जी मैडम"!

मैडम की बात सुनकर लव असमंजस में पड़ जाता है वह कुछ देर उस बारे में सोचता है पर उसे कुछ समझ नहीं आता है, अब लव का क्लास में भी जाने का मन नहीं कर रहा है, इसीलिए वह उस जगह पर आ गया है, जहां  उसके अशांत मन को शांति मिल सके।

यह स्थान प्रकृति के जीवित ग्रुप का उदाहरण है, इस पहाड़ी के शिखर पर एक विशाल बरगद का पेड़ है, इस पेड़ की मोटी - मोटी शाखाएं धरती में समा कर पुण: जीवित हो उठी है और इस पेड़ की छोटी-छोटी शाखाएं ऐसे लटकी हुई है, जैसे किसी योगी की घनी दाढ़ी हो, इस योगी पेड़ पर कोयल, कबूतर, चिड़िया और तोतों की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही है और ऐसा लग रहा है जैसे यह सभी पक्षि एक - दूसरे से बातें कर रहे हैं, इस पूरी पहाड़ी पर हरी घास की कोमल चादर बिछी हुई है और कई तरह के फूल पौधों के कारण यहां के वातावरण में सुगंध और ताजगी है, लव जिस शांति की तलाश में यहां आया है, वह सर्वप्रथम उसे स्नेहा के रूप में दिखाई देती है, वह इस पेड़ के नीचे बैठकर, बड़े  उत्साह भाव से किताब पढ़ रही है।

"तुम अकेली यहां बैठी हो, तुम्हें यहां डर नहीं लगता"? लव ने पूछा।

"डर उनको लगता है जो जिंदगी को सच मानते हैं, मैं तो मौत को सच मानती हूं, तुम्हें कैसे पता चला मैं यहां हूं"?

"जैसे तुम्हारे सवाल तुम्हें, यहां खींच लाये उसी तरह मेरे सवाल मुझे यहां खिंच लाएं"।

"आज मैं, तुम्हारे हर सवाल का जवाब दे सकती हूं, तुम सवाल पुछो"? स्नेहा ने उत्साह से कहा।

"मैं जो आज तुमसे कहना चाहता हूं, दोबारा उसी दिन कहूंगा, जिस दिन सही समय आएगा, मैं खुद को उस दिन के लिए तैयार करना चाहता हूं, ताकि मुझे उस दिन, खुद से कोई शिकायत ना हो, तुम्हारे घर वाले तुम्हारे लिए कैसे लड़के को पसंद करेंगे, जिससे वह तुम्हारी शादी करेंगे"? लव ने पूछा।

"जो बहुत पढ़ा लिखा हो, खानदानी हो, समझदार हो, सुंदर हो, लाखों कमाता हो, ऐसे लड़के से मेरी शादी करना चाहेंगे"।

"और तुम कैसे लड़के से शादी करना चाहोगी"?

लव के प्रश्न का उत्तर, स्नेहा के हृदय में एक ईश्वर की प्रार्थना बनकर, कविता का रूप ले लेती है, जो इस प्रकार है।

                             (कविता)
"जिसका मोहब्बत ही कर्म हो और मोहब्बत ही धर्म हो"।
" जिसकी आंखों में शर्म हो और जिसका हृदय विनम्र हो।
"जिसके इरादों में दम हो और जिसके हौसलों में संयम हो"।
" जिसके पास जमाने का गम हो और जो खुद बे गम हो"।
" मैं अपने श्री कृष्ण से ऐसे जीवन साथी की प्रार्थना करती हूं"।

"जिससे सभी उम्मीद करते हो, जो सबकी उम्मीदों को जानता हो"।
"जिसे सभी अपना मानते हो और जो सबको अपना मानता हो"।
"जो मोहब्बत से सारी दुनिया को जितना जानता हो"।
"जो हार को जीत और जीत को हार मानता हो"।
"मैं अपने भगवान से एसे जीवन साथी की वंदना करती हूं"।

"जिसका कोई दुश्मन ना हो, जो सबको अपना दोस्त समझता हो"।
"जो घनघोर अंधेरे में भी सूरज की तरह चमकता हो"।
"जो निस्वार्थ बादलों की तरह सब पर बरसता हो"।
"जो अपनी पीड़ा को सुख, दूसरों की पीड़ा को दुख समझता हो"।
"अपने ईश्वर से ऐसे जीवन साथी की आशा करती हूं"।

"जिसे सब पसंद करते हो, जो सबको अपना मानता हो"।
"जिसे लूटना ना आता हो, जो केवल लुटाना जानता हो"।
"जो मुश्किलों को पसंद करता हो, जो डरना ना जानता हो"।
"जो असंभव को बड़ी आसानी से संभव कर दिखाता हो"।
"मैं अपने प्रभु से ऐसी जीवनसाथी की अभिलाषा रखती हूं"।

"जो रूठे लोगों को मनाता हो और सोए लोगों को जगाता हो"।
"जो गिरे हुए लोगों को उठाता हो और रोते हुए लोगों को हंसाता हो"।
"जो नशे में डूबे युवाओं को सच्चे जोश और सच्चे होश में लाता हो"।
"जो भटके हुए लोगों की प्रेरणा बनकर, सच्ची राह दिखाता हो"।
"मैं अपने खुदा से एसे जीवनसाथी की दुआ करती हूं"।

स्नेहा ने अपने सच्चे हृदय से संसार की सभी लड़कियों को सारगर्भित संदेश देते हुए, अपने जीवनसाथी के चुनाव की सभी विशेषताओं को बताते हुए, एक आदर्श जीवनसाथी का उदाहरण प्रस्तुत किया पर लव को इतनी विशेषताओं से भरे व्यक्तित्व के बारे में जानकर आश्चर्य होता है इसीलिए वह स्नेहा से पूछता है"।

"ऐसा कोई कैसे हो सकता है"?

"जो प्रेम को पहचानता हो, वही ऐसा हो सकता है"।

"क्या तुम प्रेम को पहचानती हो"?

"हां पहचानती हूं इसीलिए कह रही हूं, जा कर कह दो, पूरी दुनिया से जो काम परमाणु बम नहीं कर सकते, वह काम मोहब्बत कर सकती है, अगर यकीन ना हो तो मोहब्बत को आजमा कर देख लो, स्नेहाहा ने विश्वास के साथ कहा।

स्नेहा के शब्दों में लव को जादू नजर आता है, तभी वह स्नेहा के संबंध में कह उठता है, जो इस प्रकार है।

                            (शायरी)
"किस दुनिया से आई है, तू प्रेम दीवानी"।
"उतना तुझमें प्यार है, जितना सागर में पानी"।।
"तूने हर दर्द की दवा, प्यार को बताया है"।
"लगता है खुदा ने तुझे, बड़े प्यार से बनाया है"।।

लव के यह शब्द सुनकर स्नेहा कुटिल मुस्कान लिए कहती है।

"अच्छा है"।

लव स्नेहाहा को 5 मिनट का इंतजार देकर, वहां से चला जाता है फिर वह  फूलों का गुलदस्ता सजा कर लाता है और स्नेहा को भेंट करता है, जिसे स्नेहाहा खूबसूरत मुस्कान के साथ स्वीकार कर लेती है और कहती है।

"इस उपहार के लिए हृदय से धन्यवाद, अब हमें यहां से चलना चाहिए"।

"तुम जाओ, मैं कुछ देर बाद आ जाऊंगा"। लव ने कहा

"तुम अकेले यहां क्या करोगे"? "बहुत देर हो चुकी है। मैं, तुम्हें अकेले, यहां नहीं छोड़ सकती हूं"।

"तुम जाओ, मैं बहुत जल्द आ जाऊंगा"। लव ने कांपते हुए कंपित आवाज में कहा।

"स्नेहा को लव के इस अजीब व्यवहार पर संदेह होता है इसीलिए वह जिम्मेदारी भाव से कहती है -"हवा तेज चल रही है, लगता है, तूफान आने वाला है इसलिए तुम्हारा यहां रुकना ठीक नहीं है, चलो मेरे साथ"।

"तुम मुझ पर जितना अधिकार जमाती हो, तुम्हारा उतना अधिकार नहीं है मुझ पर इसलिए अपनी जिद छोड़ो और यहां से चली जाओ"। लव ने धीमे स्वर में लड़खड़ाते शब्दों ने कहा।

"तुम्हें कुछ हुआ है, यहां जरूर तुम्हारे साथ कुछ गलत हुआ है"।

तभी अचानक बिजली कड़कड़ाती है खोलो बेसुध होकर वहीं गिर पड़ता है। यह देख स्नेहा घबरा जाती है और लव को संभालती है, तभी स्नेहा की नजर लव के सीधे हाथ पर पड़ती है, उसके हाथ पर किसी के दांत के निशान है और उसमें से रक्त बह रहा है, फिर स्नेहा यह समझने में एक क्षण भर की भी देर नहीं करती कि लव को किसी जहरीले जीव ने काट खाया है, अब लव का पूरा शरीर कपकपा रहा है और उसकी आंखें जहर के असर से लाल हो गई है, उसके रक्त में जहर बहुत तेजी से फैल रहा ह वह भली-भांति समझ गई है कि अब जो भी  करना है, उसे तुरंत करना है, इसीलिए स्नेहा एक फैसला लेती है, उसके इस फैसले के कई कारण ह, वह लव को अकेला छोड़ कर किसी की मदद के लिए नहीं जा सकती, क्योंकि देर हो सकती है और ना ही वह लव को उठाकर हॉस्पिटल तक ला सकती है क्योंकि समय के नियम को बदला नहीं जा सकता है, केवल उससे लड़ा जा सकता है, इसीलिए स्नेहा का यह जोखिम भरा फैसला सही है पर इस फैसले से पहले मैं, तुम्हें स्नेहा के ह्रदय में उठ रहे उन भावों सुनाना चाहता हूं जो इस प्रकार है।

                            (शायरी)

"किस्मत वालों को मिलता है, दोस्ती में इम्तिहान।
"खुशी की बात है, जो किस्मत हुई मेहरबान"।।
"पर इतनी सी गुजारिश है, तुमसे मेरे भगवान"।
"जीत हो मेरी कोशिश की, हार जाए इम्तिहान"।।

"आखिर क्या फैसला लिया है स्नेहा ने लव की जान बचाने के लिए"?

"क्या स्नेहा अपनी सूझबूझ से लव की जान बचा पाएगी"?

"क्या स्नेहा दोस्ती के इस इम्तिहान में सफल हो पाएगी"?

जानने के लिए पढ़ते रहिए
"लव इज माय लाइफ"
ब्यूटीफुल लव स्टोरी

अगर आपको यह कहानी है अच्छी लग रही है तो इसे उन लोगों तक अवश्य पहुंचाना जिससे तुम प्रेम करते हो।

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7 Comments

Anjali rawat

10-Jun-2022 02:00 PM

💕💕💕💕

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Dr. Arpita Agrawal

27-Apr-2022 06:00 AM

बहुत सुंदर👌👌अगले भाग का इंतज़ार रहेगा

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Zakirhusain Abbas Chougule

27-Apr-2022 04:41 AM

Beautiful story

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